Saturday, January 15, 2011

नव वर्ष

अरे ये कुछ लोग,
ख़ुशी से पागल क्यों हुए जा रहे हैं?
उस कोने से भी कुछ जन,
झूमते-गाते इधर को क्यूँ आ रहे हैं?
क्या इनके लिए ये दिन,
 है कुछ विशेस?
इन्हें ही क्यों दोस दूँ ,
पागल हो झूम रहा सारा देश,
जब वही दिन और ठीक वैसी रात आएगी ,
जरूरतों से पटी परि,
दुःख से भींगी,
तो फिर क्यों हम आज  मनाये हर्ष?
कैसे कहूँ किसी को लगाकर गले "मुबारक नववर्ष "?

कल की तरह ही फिर,
इकबार और ,
हम आँशु बहायेंगे,
सुख से तृप्त हो नहीं,
दुःख-दर्द से ही नहायेंगे |
छानेंगे दर-दर की ख़ाक ,
नौकरी को लेकर |
दो जून की रोटी पायेंगे,
बमुश्किल,
अपने खूं को बेचकर|
 क्यूँ खाएं तो आज,
दूसरों से लेकर कर्ज,
बढाएं क्यों, आखिर क्यों ,
अपना ही मर्ज?
के जब जानते हैं  कल से फिर खाली होगी अपनी पर्स ,
कैसे कहूँ किसी को लगाकर गले "मुबारक नववर्ष "?

ये जानते हुए,
के आज कर लें कितनी भी मस्ती,
कल वही तबाही की मंजर होगी,
खांसते रहेंगे ,
कलेजा फारकर, बनकर रोगी |
भले  ही आज कुछ 'बरे' लोग,
कर रहे हैं अन्न-वस्त्र दान,
कुछ के यहाँ तो हो रहे,
बकायदा अनुष्ठान |
लेकिन फिर कल से थाल में,
 होगा वही निवाला,
बैठे रहेंगे धरकर माथ,
बनकर के दिवाला |
सोने को मिलेगा रात में वही सर्द फर्श,
कैसे कहूँ किसी को लगाकर गले "मुबारक नववर्ष "?

ये नाचना-गाना क्यों ,
जबकि कल से फिर,
हम ठीक से चल ना पायेंगे |
थक कर चूर होगा बदन,
फिर  संगीत पर,
कैसे इसे थिरकायेंगे?
आज भले ही जला लें,
भारे पर,
बत्ती गुलाबी,
फिर कल को घर होगा अन्धेरा,
जहां आज विराजमान है प्रकाश,
कल वहाँ होगा,
अन्धकार का डेरा |
फिर वही लरखरा कर गिरना ,कहाँ होगा उत्कर्ष?
कैसे कहूँ किसी को लगाकर गले "मुबारक नववर्ष "?

क्यूँ पेहेन लें सर पे ,
कुछ घंटों के लिए,
मखमली टोप ?
के जब जानते हैं के धोना हैं,
हमें काँटों का ताज |
हमारा कुछ कहाँ,
उत्सव वो माएं,
जो कल फिर करेंगे हमपर राज,
मखमल क्यों ओढें,
जबकि कल से,
न होगा शरीर पर वस्त्र नसीब,
खून और पसीना बस ,
होंगी अपने शारीर के करीब |
गर्मी में वही झुलसाती किरनें,
ठंढी में सर्द-आंधी करेंगी शरीर को स्पर्श,
कैसे कहूँ किसी को लगाकर गले "मुबारक नववर्ष "?

आज घर के छत से ,
क्यों लटकाएं ,
पटाखे औ गुब्बारे?
पर भर के लिए क्यों देखें,
चलते सपनों के फव्वारे?
शरीर के इन दागों को ,
दूसरों से क्यूँ छिपायें,
वे खुद जानते हैं,
आखिर ये हैं उनकी ही देन |
जो खून बेचते हैं हमारी,
खुद के शराब के लिए,
उनसे क्यों करे हम लेन?
जब अब तक न तोरा तो क्यूँ तोरें आज अपना आदर्श ?
कैसे कहूँ किसी को लगाकर गले "मुबारक नववर्ष "?
 







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