Saturday, January 15, 2011

दर्द

हर बार पलक ज्यों बंद करूँ  ,
एक परी नजर आती मुझको ,
वो ऑंखें उसकी कजरारी ,
वो स्नेह  छलकते लव उसके ,
फिर जाता मैं उसके समीप ज्यों ,
इठलाती वो पुष्प तरह ,
औ  बलखाती , यु  मटकाती ,
कुछ कहती है  मुझको हँसकर ,
मैं हाथ  बढ़ाता छूने को  ज्यों ,
चिंगारी कुछ  आती है ,
मेरे सपनों में आग  लगा ,
वो छूमंतर हो जाती है ,
ज्यों सिखलाती हो  वो मुझको ,
इन सपनों का कोई अर्थ नहीं ,
मुस्काने की मत सोचूं मैं ,
मैं रहूँ जहाँ  है दर्द वहीँ |

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