Monday, January 31, 2011

आंसू


कुछ  लोग   मुझे  कहते  है  अब ,
क्यूँ  रोता  है  तू  रह- रह  कर ,
क्या  हार  गया  तेरा  ये  मन ,
इस  दुनिया  की  दर्दें  सहकर ,
तो  बोल  उठा  मैं  उनसे  फिर ,
आ  बैठ  मेरे  आगे   आकर ,
दो  अश्क  बहाकर  देखो  तुम ,
क्या  चलता  है  दिल  के  भीतर ,
क्या  समा  तुम्हारे  अन्दर  भी ,
जलने  लगती  यु  धू -धू  कर ,
वो  अश्क  तुम्हे  ठंडक  देती ,
क्या  मरहम  की  पुरिया  बनकर ?
भाई  साथ  मेरे  दो  अश्क  बहा ,
फिर  पायेगा  तू  ये  निश्चित ,
हर  दर्द  तेरे  बह   जायेंगे ,
तब  खुशियों  की  आंधी  बनकर |.

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