Saturday, January 22, 2011

गांधी


 ऐ गांधी! देखो  ना,
सब तुमको भूल रहे हैं,
छोर अहिंसा ,
पकर डाल,
हिंसा का झूल रहे हैं |
तुम्ही बताओ न इनको,
हरदम तुम,
रखते थे हथियार(लाठी),
फिर भी बोलो,
तुमने क्या,
किया किसी पे वार?
गाँधी का मतलब ये समझे,
इक हड्डी का ढांचा,
अनंत आदर्श ढले हैं जिसमें,
गाँधी बस ऐसा सांचा |
समझाओ इनको,
दो बुद्धि तुम हे बापू!
दुनिया  सारी इक समुद्र,
तुम इक अकेले टापू |
पंचतत्व में हुए भले ही,
सन अरतालिश में विलीन,
फिर भी तेरा पावन रूप,
हुआ कहाँ है क्षीण!
सिखलाओ न इनको,
करें ये ,
मातृभूमि  से प्यार,
देख के सुख ,
दूजे देशों में,
मत टपकायें लार |
लहक-चहक वाले वस्त्रों की ,
इन्हें जरुरत क्यों खली?
बतलाओ इनको,
के अपनी धोती-सारी बहुत भली,
कुछ भी हो जल्दी,
इनका मस्तिक्स करो तुम साफ़,
ईंट के बदले,
मत फेंको पत्थर ,
कर सकते हम उनको माफ़ |




 

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